Modi 3.0 के पहले 100 दिन: कूटनीतिक मोर्चे पर रूस-यूक्रेन सहित 7 देशों का दौरा
प्रधानमंत्री Narendra Modi ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद, सरकार के पहले 100 दिनों में वैश्विक कूटनीति में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। इस दौरान उन्होंने रूस, यूक्रेन, पोलैंड समेत कुल सात देशों की यात्रा की और कई अहम अंतर्राष्ट्रीय बैठकों में हिस्सा लिया। इन दौरों और बैठकों ने न केवल भारत के कूटनीतिक कद को और ऊंचा किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की नई छवि को भी प्रबल किया।
वैश्विक मंच पर सफल उपस्थिति
विदेश मंत्रालय ने Modi सरकार के तीसरे कार्यकाल को कूटनीतिक मोर्चे पर सफल करार दिया है। अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री Narendra Modi ने इटली में आयोजित जी7 लीडर्स आउटरिच बैठक में भाग लिया। इस बैठक में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य और आतंकवाद जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही। इस बैठक में Modi की उपस्थिति ने भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित किया।
रूस और यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा
जुलाई में प्रधानमंत्री Modi ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर रूस का दौरा किया और 22वीं भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। Modi की यह यात्रा उस समय हुई जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था।
अगस्त में प्रधानमंत्री Modi ने पोलैंड का दौरा किया, जो पिछले 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। पोलैंड के साथ भारत के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, और यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।
इसके तुरंत बाद, Modi यूक्रेन पहुंचे, जो युद्धग्रस्त देश के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के निमंत्रण पर की गई पहली भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा थी। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल युद्ध की विभीषिका को समझना था, बल्कि यूक्रेन को मानवीय सहायता और कूटनीतिक समर्थन प्रदान करना भी था। यह यात्रा वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सिंगापुर और ब्रुनेई का दौरा
प्रधानमंत्री Modi ने पहले 100 दिनों में सिंगापुर और ब्रुनेई की यात्रा भी की। इन दौरों का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों को मजबूत करना था। सिंगापुर के साथ भारत का व्यापार और रक्षा संबंध पहले से ही मजबूत है, और इस यात्रा से द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने में मदद मिली।
ब्रुनेई की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में समझौते किए गए, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिली।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट
कूटनीति के क्षेत्र में भारत की बड़ी उपलब्धियों में से एक था प्रधानमंत्री Modi द्वारा आयोजित तीसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट। इस शिखर सम्मेलन में 122 देशों के 173 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह समिट दक्षिणी गोलार्ध के देशों के बीच आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन और विकास के मुद्दों पर बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना। इस शिखर सम्मेलन ने दिखाया कि भारत न केवल अपने पड़ोसी देशों बल्कि अन्य विकासशील देशों के हितों की भी चिंता करता है और उनकी आवाज़ को वैश्विक मंच पर उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक
भारत ने प्रधानमंत्री Modi के नेतृत्व में विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक की मेजबानी की, जिसमें असम के मैदाम को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो देश की धरोहर और सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक मान्यता दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम था।
राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की यात्राएं
प्रधानमंत्री Modi के साथ-साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कूटनीतिक मोर्चे पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। अगस्त में उन्होंने फिजी, न्यूज़ीलैंड और टिमोर-लेस्ते की यात्रा की। इन दौरों का उद्देश्य भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना और व्यापार, शिक्षा, और सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित करना था।
इसके साथ ही, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूएई, कतर, श्रीलंका, कज़ाखस्तान, मॉरीशस, मालदीव, कुवैत, सिंगापुर, सऊदी अरब, स्विट्ज़रलैंड और जर्मनी की यात्राएं कीं। इन दौरों का मकसद भारत के आर्थिक और राजनीतिक हितों को वैश्विक स्तर पर संरक्षित करना था। विशेष रूप से खाड़ी देशों और दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करने में इन दौरों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की नई दिशा
प्रधानमंत्री Narendra Modi के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों की कूटनीतिक गतिविधियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब वैश्विक मंच पर एक मजबूत और निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद दोनों देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने का सफल प्रयास किया है। साथ ही, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है।
प्रधानमंत्री Modi के इन दौरों और बैठकों ने न केवल भारत के कूटनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की साख को भी बढ़ाया है। आगामी दिनों में भारत की कूटनीतिक नीतियों के प्रभाव और भी स्पष्ट दिखाई देंगे, जो देश को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।